स्वयं को तिल-तिल जलाकर
फैलाएं हर ओर प्रकाश,
स्वत: ही इस प्रभा से
होगा अंधेरे का विनाश,
ध्येय की दिव्यता के समक्ष
नष्ट हो जाएंगे सभी पाश,
ध्येय हमारा पूर्ण होगा
मन में है अटूट विश्वास,
सर्वत्र जय जयकार होंगी
भारत माँ की इस जहान में
क्या मान में, क्या अपमान में ,
यह दीप जलते रहेंगे आंधी और तूफान में।
विश्व में फिर शांति होगी
फिर ना कोई क्रांति होगी,
दूर प्रत्येक भ्रांति होगी
मां के समक्ष नतमस्तक दुनिया
गुरु भारत को मानती होगी,
समग्र विश्व एकजुट होगा
भारत के सम्मान में,
क्या मान में, क्या अपमान में ,
यह दीप जलते रहेंगे आंधी और तूफान में।
सौरव
क्या मान में, क्या अपमान में , यह दीप जलते रहेंगे आंधी और तूफान में।
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