चक्रवर्ती सम्राट अशोक बिन्दुसार गुप्त तथा रानी सुभद्राणी का पुत्र था। लंका की परम्परा में बिन्दुसार की सोलह पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख है। पुत्रों में केवल तीन के नामोल्लेख हैं, वे हैं – सुसीम जो सबसे बड़ा था, अशोक और तिष्य। तिष्य अशोक का सहोदर भाई और सबसे छोटा था। एक दिन सुभद्राणी को स्वप्न आया कि उसका बेटा एक बहुत बड़ा सम्राट बनेगा। जब यह बात राजा बिन्दुसार को पता चली तो उसने सुभद्राणी को अपनी रानी बना लिया। चूँकि धर्मा (सुभद्राणी) कोई क्षत्रिय कुल से नहीं थी अत: उसको विशेष स्थान राजकुल में प्राप्त नहीं था। अशोक के कईं (सौतेले) भाई – बहन थे। बचपन में उनमें बहुत प्रतिस्पर्धा थी। अशोक के बारे में कहा जाता है कि वो बचपन से सैन्य गतिविधियों में प्रवीण था। अशोक का प्रभाव एशिया मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में देखा जा सकता है। अशोक काल में उकेरा गया प्रतीकात्मक चिह्न जिसे हम *”अशोक चिह्न “* के नाम से जानते हैं, आज भारत का राष्ट्रीय चिह्न है। बौद्ध धर्म के इतिहास में गौतम बुद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक का ही स्थान आता है। अशोक सम्राट का राज चिह्न *” चारमुखी शेर “* को *राष्ट्रीय प्रतीक* मानकर ही भारत सरकार चलाती है और *सत्यमेव जयते* को अपनाया है। देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान, सम्राट अशोक के नाम पर, *” अशोक चक्र “* दिया जाता है। सम्राट अशोक से पहले या बाद में कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ जिसने *” अखण्ड भारत “* (नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो। सम्राट अशोक के शासनकाल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार, भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा *स्वर्णिम काल* मानते हैं। इसी काल सबसे प्रख्यात महामार्ग *ग्रेड ट्रंक रोड़* जैसे कईं हाईवे बने। 2,000 किलोमीटर लम्बी सड़क पर दोनों ओर पेड़ लगाये गये। सरायें बनाई गईं। पहली बार पशुओं के लिए *चिकित्सा घर ” खोले गए। इसी काल में भारत *सोने की चिड़िया और विश्व गुरु* कहलाया। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे है। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है – ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चूकाँ है। जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध हो गये और उन्ही की स्मृति मे उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल – लुम्बिनी – मे मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रुप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन मे एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे।
साभार: प्रदीप
सेवा भारती पंजाब