पुराने समय में एक राजा के पास अपार धन-संपदा थी। लेकिन, फिर भी वह चिंतित रहता है। राजा के राज्य के आसपास कई बड़े शत्रु थे। उन शत्रुओं की वजह से राजा को चिंता रहती थी कि कहीं किसी ने उसका वध कर दिया तो परिवार का पालन कैसे हो पाएगा, मेरी आगे की पीढ़ियों का क्या होगा? भविष्य को लेकर राजा हमेशा परेशान रहता था। एक इस चिंता के निवारण के लिए वह अपने राज्य के विद्वान संत के पास पहुंचा। संत को राजा ने अपनी समस्या बताईं संत समझ गए थे कि राजा कल की चिंता में आज खराब कर रहे हैं। संत ने राजा को एक बूढ़ी महिला का पता बताया और कहा कि राजन् ये महिला आपकी समस्या को हल कर सकती है। आप इससे जाकर मिलें। वह बूढ़ी महिला अकेली रहती है। उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं है। आप कृपया उसे थोड़ा सा अनाज दे देना।
राजा ने सोचा कि मैं उसके घर जा रहा हूँ तो उसके लिए थोड़ा सा अनाज कैसे ले जा सकता हूँ मुझे बहुत सारा अन्न और धन लेकर जाना चाहिए। ऐसा सोचकर राजा अपने सेवक के साथ अनाज और स्वर्ण मुद्राएँ लेकर बूढ़ी महिला की झोपड़ी में पहुंच गया।
राजा ने वृद्ध महिला को प्रणाम किया और अपना परिचय बताया। राजा ने अन्न और अनाज बूढ़ी महिला को देने के लिए सेवकों से कहा। महिला ने राजा से अनाज और धन लेने से मना कर दिया और कहा कि राजन् मेरे पास आज के लिए पर्याप्त अनाज है। इससे मेरे पेट भर जाएगा। इसीलिए मुझे ये सब नहीं चाहिए।
राजा ने कहा कि आपके पास आज का अन्न है, लेकिन ये अनाज और धन आपको कई दिनों तक काम आएगा। आपको किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। महिला ने कहा कि राजन् मैं कल की चिंता नहीं करती हूं। मुझे भगवान पर भरोसा है., जैसे मुझे आज खाना मिल गया है, कल भी मिल जाएगा।
ये बात सुनकर राजा हैरान रह गया। राजा समझ गए कि संत ने उसे यहां क्यों भेजा है। उसने सोचा कि इस महिला के पास न खाना है और न ही धन है, लेकिन ये कल की चिंता नहीं करती है। मेरे पास तो अपार धन-संपत्त है, फिर भी मैं बिना वजह कल की चिंता कर रहा हूं।
भविष्य को लेकर परेशान
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