मवेशी चराने वाली लड़की बनी सेना की कमांडिंग ऑफिसर, वर्दी के जुनून की इस कहानी को सुन दिल से करेंगे सलामस्कूल टीचर की बेटी कर्नल सपना राणा ने भारतीय सेना में इतिहास रचा है। दो भाइयों की इस बहादुर बहन ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान जॉइंट डिफेंस सर्विस परीक्षा पास की और 2004 में लेफ्टिनेंट बनीं। आज वह नॉर्थ-ईस्ट में एएससी बटालियन का नेतृत्व करती हैं, जो हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है।हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव से कर्नल तक का सफरगांव की बंदिशों को तोड़कर निकलीं बाहर, बनी मिसालआर्मी ऑफिसर से हुई है शादी, एक बेटी की मां हैं सपना
सपना राणा भारतीय सेना में हिमाचल प्रदेश की पहली महिला कर्नल हैं
जिंदगी में आसमां छूने का जुनून उसके अंदर बचपन से ही था। जब उसकी उम्र की लड़कियां खेलने, कूदने और मौज-मस्ती में वक्त बिताती थीं तो वो अपने करियर की प्लानिंग करती थी। अपने दोनों भाइयों से वो किसी मामले में कम नहीं थी। पढ़ाई से लेकर हर बात में वो आगे रहती थी। और यही वजह थी कि जब 10वीं के बाद उसके दोनों भाई आगे की पढ़ाई के लिए अपने छोटे से गांव से बाहर निकले, तो माता-पिता ने उसे भी पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया। उसकी मेहनत रंग लाई। उसके जुनून ने आखिरकार उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा दिया। हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकली ये बेटी आज भारतीय सेना में कमांडिंग ऑफिसर है।ये कहानी है कर्नल सपना राणा की, जो भारतीय सेना में बटालियन की कमान संभालने वाली हिमाचल प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं। हालांकि, सपना के लिए ये सफर आसान बिल्कुल नहीं था। 1980 के दशक में सपना का जन्म हिमाचल के एक ऐसे गांव में हुआ, जहां समाज की बंदिशें अक्सर महिलाओं के कदम रोक लिया करती थीं। पशुओं को चराना, उनके लिए चारा काटना, भैंस का दूध निकालना और शाम ढलने पर घर के लिए खाना बनाना… उस गांव की महिलाओं के लिए बस यही जिंदगी थी। लेकिन इन्हीं चुनौतियों के बीच सपना ने अपने लिए रास्ता बनाया। उन्होंने वो सबकुछ किया, जो गांव की बाकी लड़कियां करती थीं, लेकिन कभी भी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया।पैसे बचाने के लिए कॉलेज तक जातीं थी पैदलसपना के पिता स्कूल में टीचर थे और मां हाउसवाइफ। 10वीं के बाद जब आगे की पढ़ाई के लिए सपना हिमाचल प्रदेश के सोलन पहुंचीं, तो उन्होंने अपने लक्ष्य और आर्थिक दिक्कतों के बीच बैलेंस बनाया। सपना की मां कृष्णा ठाकुर बताती हैं, ‘मेरे तीन बच्चे हैं और सपना पढ़ाई में अपने दोनों भाइयों से भी अच्छी थी। गांव के माहौल को देखते हुए हमने कभी नहीं सोचा था कि सपना इस तरह बाहर निकलकर कामयाबी होगी। सोलन में रहते हुए वो खुद अपना खाना बनाता थी और पैसे बचाने के लिए कॉलेज तक पैदल चलकर जाती थी। छुट्टियों में घर आती तो सपना वो सारे काम करती, जो बाकी लड़किया किया करती थी। अब वो सेना में कमाडिंग ऑफिसर बन गई है तो हमें और क्या चाहिए।
2004 में बनीं सेना में लेफ्टिनेंट : हालांकि, सपना राणा ने कभी नहीं सोचा था कि वो भारतीय सेना में जाएंगी। इंटरमीडिएट के बाद सपना ने सोलन में सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एमबीए करने के लिए हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। सपना अब यूपीएससी की तैयारी शुरू करना चाहती थीं लेकिन बीच में ही उन्होंने जॉइंट डिफेंस सर्विस का एग्जाम दिया और 2003 में चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में सेलेक्ट हो गईं। 2004 में सपना राणा को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्ति मिल गई। फिलहाल सपना नॉर्थ-ईस्ट में आर्मी सर्विस कोर (एएससी) बटालियन की कमान संभाल रही हैं। वहीं, सपना राणा के पति भी भारतीय सेना में हैं और उनकी एक बेटी है।