1980 का दशक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की पुनःप्रतिष्ठां के लिए याद किया जाता है। संतों के नेतृत्व में अयोध्या से ‘श्रीराम जानकी रथ यात्रा’ निकाली जा रही थी। कुछ असामाजिक तत्वों ने इसमें बाधा डालने की चेतावनी दी। तब उ.प्र. में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे। उन्हें तथा दिल्ली की मुस्लिमप्रस्त कांग्रेस सरकार को लग रहा था कि इस आंदोलन से कांग्रेस की जड़ें हिल रही हैं। अतः उन्होंने पुलिस सुरक्षा देने से मना कर दिया।
इस पर संतों और वि.हि.प. ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था बनाने का निश्चय किया। इसी प्रक्रिया में 8 अक्तूबर, 1984 को प्रखर युवा नेता विनय कटियार के नेतृत्व में ‘बजरंग दल’ का गठन हुआ। इससे रामजानकी यात्रा निर्विघ्न संपन्न हुई; पर उसके बाद भी जब श्रीराम मंदिर के लिए तन, मन और धन के साथ ही बलिदान की बात आयी, तो बजरंग दल के आह्वान पर 50 लाख युवाओं ने आगे बढ़कर अपना नाम लिखाया।
सरकार ने आंदोलन दबाने का भरपूर प्रयास किया। ऐसे में 19 दिसम्बर 1985 को उ.प्र. बंद का आह्वान किया गया। इसकी सफलता में बजरंग दल की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 13 जुलाई, 1989 को हुए दीक्षा समारोह में देश भर से 10,000 युवा सहभागी हुए। फिर तो हर प्रांत में ऐसे कार्यक्रम होने लगे। युवाओं में बजरंगी बनने की होड़ लग गयी। श्रीराम मंदिर के हर कार्यक्रम में बजरंगियों ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रामशिला पूजन, शिलान्यास समारोह, रामज्योति यात्रा आदि इसके प्रमाण हैं। उनका कई स्तरीय सुरक्षा चक्र हमेशा सजग रहता था। कार सेवा के सभी चरणों में युवा शक्ति सब जगह दिखाई देती थी। इस प्रकार बजरंग दल युवा सामर्थ का प्रतीक बन गया।
जब छह दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा टूटा, तो वि.हि.प. के साथ बजरंग दल पर भी प्रतिबंध लग गया; पर यह अधिक समय तक नहीं टिक पाया। 11 जुलाई, 1993 को प्रतिबंध हटते ही गतिविधियां फिर चलने लगीं। अब इसका विस्तार संपूर्ण देश में कर कुछ अन्य काम हाथ में लिये गये। महर्षि वाल्मीकि यात्रा, सिद्धू-कान्हू की संत यात्रा, डा. अम्बेडकर जयंती, विवेकानंद जयंती आदि के माध्यम से हर वर्ग और जाति में बजरंग दल का प्रवेश हुआ। 20-21 जनवरी, 1996 को प्रयागराज में बजरंग दल का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। 1996-97 को वि.हि.प ने गोरक्षा वर्ष के रूप में मनाया। इस दौरान डेढ़ लाख से अधिक गोवंश कसाइयों से छुड़ाया गया। कई कार्यकर्ता मारे भी गये। अब तो बजरंग दल का यह एक स्थायी कार्यक्रम है।
1996 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा पर हमले की चेतावनी दी, तो बजरंग दल के नेतृत्व में एक लाख युवा वहां पहुंच गये। अब तो प्रतिवर्ष कई लाख लोग बर्फानी बाबा के दर्शन को जाते हैं। 1998 में अमरीकी दादागिरी के प्रतीक ‘पेप्सी और कोकाकोला’ का विरोध किया गया। इससे कंपनी को गुजरात में नरोडा प्लांट बंद करना पड़ा। 2005 में पुंछ तथा रजौरी स्थित बाबा बूढ़ा अमरनाथ की यात्रा को भी पुनर्जीवित किया गया। दत्त पीठ (चिकमगलूर) तथा हंपी स्थित हनुमान जन्मस्थली आदि कई प्राचीन तीर्थयात्राओं के पुनरुद्धार का श्रेय बजरंग दल को है। इससे हिन्दुओं में नवीन जागृति का संचार हुआ।
एक सितम्बर, 2017 को देश में 1,100 स्थानों पर चीन निर्मित सामान की होली जलाई गयी। छुआछूत, कन्या भू्रण हत्या, दहेज प्रथा, धर्मान्तरण, मंदिर प्रवेश, पौधारोपण, लव और लैंड जेहाद आदि पर भी बजरंग दल सक्रिय रहता है। निर्धन युवक/युवतियों के लिए शिक्षा तथा कौशल विकास के केन्द्र चलाये जाते हैं। हर साल दो नवम्बर, 1990 की स्मृति में रक्तदान शिविर होते हैं। प्राकृतिक आपदा में भी बजरंग दल के युवा सहयोग करते हैं। इस प्रकार बजरंग दल सेवा, सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी का दूसरा नाम बन गया है।
- पवन अग्रवाल, गाजियाबाद