अपने तो अपने होते हैं!

अमरदीप जौली

जब चंगेज खान ने बुखारा की घेराबंदी की, तब उसने एक बार में ही शहर को नहीं रौंद डाला था बल्की उसने एक तरकीब अपनाई, उसने बुखारा शहर के लोगो के नाम एक खत लिखा: “वह लोग जो हमारा साथ देंगे उनकी जान बख़्श दी जाएगी।” ये खबर सुनकर बुखारा शहर के लोग दो हिस्सों में बट गए थे। इनमे से एक गिरोह ने चंगेज खान की बात मानने से इनकार कर दिया, जबकि दूसरा चंगेज़ खान की बात से सहमत हो गया।

इसके बाद चंगेज खान ने अपने साथ हुए लोगो को खबर पहुंचाई की “अगर वह लोग उसके मुख़ालिफ़ हुए लोगो से लड़ने में उसकी मदद करते हैं तो हम आपका शहर आपको सौंप देंगे।”

ये खबर सुनकर उन लोगो ने चंगेज़ खान के आदेश का पालन किया और बुखारा शहर में अपने ही लोगों के बीच भयंकर जंग छिड़ गई। आखिर में, “चंगेज खान के समर्थकों” की जीत हुई।

लेकिन जीतने वाले गिरोह के होश तब उड़ गए जब चंगेज़ खान की फौज ने उनपर हमला बोल दिया और उनका क़त्ल ए आम शुरू कर दिया। और फिर चंगेज खान ने ये शब्द कहे: “अगर ये लोग सच्चे और वफादार होते, तो उन्होंने हमारे लिए अपने भाइयों को धोखा नहीं दिया होता, जबकि हम उनके लिए अजनबी थे”

अरब इतिहासकार इब्न अल-अथिर (1160-1234)

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