उदयपुर: मेवाड़वासियों को कला व साहित्य जगत की हस्तियों से रूबरू करवाने और स्तरीय साहित्य का रसास्वादन कराने के उद्देश्य से कला-साहित्य पर चर्चा व चिंतन का दो दिवसीय उत्सव, मेवाड़ टॉक फेस्ट का शुभारंभ लेकसिटी स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर में बप्पा रावल सभागार में हुआ। युवा चिंतकों को साहित्य व चिंतन से जोड़ने की दृष्टि से आयोजित महोत्सव के पहले ही दिन दो अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिंतक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ और ‘रश्मि सामंत’ ने युवा चिंतकों और प्रबुद्धजनों में जोश का संचार किया। महोत्सव के दूसरे दिन बंगाल 1947 फिल्म की स्क्रीनिंग का आकर्षण रहेगा।
शुभारंभ सत्र की मुख्य अतिथि कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया ने वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उदीयमान भारत विषय पर आयोजित उत्सव का रंगारंग शुभारंभ नन्हीं बालिकाओं निर्वि और नित्या द्वारा गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुति से हुआ। मेवाड़ टॉक फेस्ट की समन्वयक रुचि श्रीमाली ने फेस्ट के आयोजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मिशा श्रीमाली ने एआई आधारित पुस्तक तथा रौनक उपाध्याय ने राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष का परिचय प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन आयुषी ने किया।
रश्मि सामंत ने उडुपी से ऑक्सफोर्ड तक की यात्रा व संघर्ष पर चर्चा की।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष व ‘अ हिन्दू इन ऑक्सफोर्ड’ की लेखिका रश्मि सामंत ने मेवाड़ टॉक फेस्ट के शुभारंभ सत्र में भारत के टेंपल टाउन उडुपी से ऑक्सफोर्ड तक की यात्रा के बारे में बताया और कहा कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इस विश्वविद्यालय में पढ़ने की उत्कंठा पैदा की।
मेकेनिकल इंजीनियर की स्टूडेंट के रूप में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने गणेश प्रतिमा के नीचे लिखी इबारत से सनातनी संस्कृति के प्रति पाश्चात्य अवधारणा और अपने कटु अनुभवों की शुरूआत की जानकारी दी। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष बनने और त्याग पत्र देने व उसके बाद तक के संघर्ष के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने पग पग पर हमारे इतिहास, कला, संस्कृति और सनातनी मूल्यों पर हमला किया है और ऑक्सफोर्ड में इन्हीं कटु अनुभवों ने वहां पर क्रांति का बिगुल बजाने की शुरुआत की।
उन्होंने युवाओं को गुलामी की मानसिकता को त्यागने व नेतृत्व क्षमता का विकास करने की आवश्यकता जताई और सकारात्मक चिंतन के साथ सफलता के लिए बुलंद इरादों के साथ प्रयास करने को प्रेरित किया।
लक्ष्मीनारायण भाला ने खोला संविधान में राम, कृष्ण की तस्वीरों का राज
मेवाड़ टॉक फेस्ट के दूसरे सत्र में संविधान विशेषज्ञ, समाजसेवी एवं संस्कृतिकर्मी लेखक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ ने भारत के संविधान के भीतर भगवान राम और कृष्ण के साथ ही सनातन संस्कृति और ऐतिहासिक घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती तस्वीरों का राज खोला और संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की।कलाप्रेमी लेखक संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, मराठी, नेपाली और मारवाड़ी भाषा एवं ओड़िया तथा गुजराती लिपि के भी अच्छे जानकार भाला ने अपनी पुस्तक ‘संविधान भाव एवं रेखांकन’ पर चर्चा करते हुए बताया कि संविधान के विविध पृष्ठों पर चित्रकार नन्दलाल बोस द्वारा उकेरे गए चित्र सजावट के लिए नहीं, अपितु प्रत्येक पृष्ठ की विषय वस्तु और परिवेश के आधार पर रचे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के हर एक पृष्ठ और उस पर उकेरे गए चित्र के पीछे का एक विशिष्ट भाव है जो पृष्ठ की विषयवस्तु व भावों को प्रतिध्वनित करता है। उन्होंने चित्रों के सौंदर्य और चित्रकार के कलाकौशल की भी प्रशंसा की। संविधान में चित्रों के भावों पर आधारित पुस्तक के लेखन की पृष्ठभूमि भी उजागर की।
उन्होंने संविधान के निर्माण की कहानी भी प्रस्तुत की। इस दौरान भाला ने संभागियों के प्रश्नों का भी उत्तर दिया।
राम जन्मभूमि पुस्तक का हुआ विमोचन
कार्यक्रम दौरान मुख्य अतिथि कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया, लक्ष्मीनारायण भाला, बीपी शर्मा, मदनमोहन टांक, गोविंद अग्रवाल आदि ने रश्मि सामंत की सद्य प्रकाशित हिंदी पुस्तक ‘रामजन्मभूमि’ का विमोचन किया और इसके सफल प्रकाशन की शुभकामनाएं दी।
मेवाड़ टॉक फेस्ट के तहत युवाओं को स्तरीय पुस्तकों और साहित्य के प्रति अनुरागी बनाने के उद्देश्य से एक पुस्तक मेले का आयोजन भी किया गया। इसमें 11 प्रकाशकों की 1 हजार से अधिक पुस्तकें प्रदर्शित की गई। फेस्ट में भाग लेने पहुंचे लोगों ने विभिन्न विषयों यथा जीवनी, साहित्य, उपन्यास, धार्मिक, विज्ञान, इतिहास, कला-संस्कृति के साथ-साथ प्रेरणादायी पुस्तकों का अवलोकन किया और बड़ी संख्या में पुस्तकें खरीदीं।
हमारे पूर्वजों ने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, हम सही विमर्श स्थापित करने की लड़ रहे: ‘मेवाड़ टॉक फेस्ट‘
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