समकालीन परिप्रेक्ष्य में बांग्लादेश

अमरदीप जौली


लेखक-आशुतोष द्विवेदी

  1. जाहिल हमेशा जाहिल ही रहेंगें।
    सन्दर्भ- पीएम हाउस तस्वीर।
    समकालीन परिप्रेक्ष्य- अफगानिस्तान सत्तापलट।
  2. सभ्य समाज से इनका दूर-दराज तक कोई नाता नहीं है।
    सन्दर्भ- लोकतंत्र में आस्था का न होना।
  3. चेतनाविहीन छात्र एवं दूरदर्शिता का अभाव।
    सन्दर्भ- आन्दोलन का हाइजैक होकर हिंसक हो जाना।(पता नहीं ये कौन से छात्र हैं।😂)
  4. राजनैतिक दृढ़संकल्पता की कमी।
    सन्दर्भ- बड़े निर्णय एवं आर्थिक सुधार होने पर भी आत्मविश्वास में कमी।
  5. राष्ट्र पहले होना चाहिए बाकी चीजें बाद में।
    सन्दर्भ- इन्दिरा गांधी।

बस इन पांच केंद्रबिन्दुओं पर अवलोकन कर लिया जाए तो समस्या एवं समाधान दोनों प्रतिबिम्बित होंगें।

                      "आशुतोष द्विवेदी"
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