भगवान शिव के इतिहास और पारिवारिक जीवन ने शिव के चित्रण को रेखांकित करने में मदद की है जो आज व्यापक रूप से जाना जाता है। शिव मृत्यु और विनाश के रूप में और अहंकार को नष्ट करने हेतु सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करते हैं। भगवान शिव के अनंत रुप है। हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा शिव को ही पूजा जाता है। ऐसा कोई गली-चौराहा नहीं, जहां शिव-मंदिर न मिले। हर-हर महादेव का जयकारा तो आपको अन्य मंदिरों में भी मिल जाएगा।
भगवान शिव की मुख्य छवियाँ
भगवान शिव की छवियां उनकी विभिन्न भूमिकाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
महायोगी: महायोगी के रूप में शिव की छवि उन्हें ध्यान और एक शांत अवस्था में प्रस्तुत करती है। इस अवस्था में शिव ने जानवरों की खाल पहन रखी है और उनकी आँखें केवल आधी खुली हैं। पशु की त्वचा प्रकृति के संपर्क में होने का प्रतिनिधित्व करती है और उनकी आँखें इस बात का प्रतीक हैं कि वह दुनिया में केवल आंशिक रूप से है। महायोगी छवि में वे एक त्रिशूलधारी हैं, जो बुद्धि, मन और शरीर पर प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
नटराज: नटराज की छवि शिव की अधिक प्रसिद्ध छवियों में से एक है और यह उन्हें नृत्य प्रदर्शित करता है। वह अपने नृत्य के लिए प्रसिद्ध है और अक्सर उन्हें नृत्य कलाकार नटराज के रुप में पूजते है।
शिव के वाहन नंदी: शिव के परिवार के अंतिम भाग, नंदी, पवित्र बैल है जो शक्ति और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिव के वाहन के रूप में भी कार्य करते हैं।
बारह ज्योतिर्लिंग
पुराणों के अनुसार शिव जहां-जहां प्रकट हुए हैं, वहां-वहां उनका स्वरुप वास करता है और उसे ज्योतिर्लिंग कहते हैं। ये संख्या में बारह हैं, जिनका विवरण निम्न है :
1. सोमनाथ, गुजरात – सौराष्ट्र गुजरात में स्थित यह ज्योतिर्लिंग इतिहास में कई बार खंडित किया गया है। 1022 में महमूद गजनवी ने इसे सर्वाधिक हानि पहुंचायी।
2. मल्लिकार्जुन, श्रीशैल, आंध्र प्रदेश – दक्षिण के कैलाश के नाम से मशहूर यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर विराजमान है।
3. महाकाल, उज्जैन, मध्यप्रदेश – यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी पर स्थित है। महाकाल पवित्र नगरी उज्जैन का मुख्य आकर्षण है।
4. ओंकार/मामलेश्वर, ओंकार, मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित ओंकारेश्वर और मामलेश्वर दो ज्योतिर्लिंग है, लेकिन ये दोनो एक लिंग के दो रुप है। यह नर्मदा नदी के तट पर विराजमान है।
5. केदारनाथ, उत्तराखंड – केदारनाथ हिमालय की गोद में स्थित केदार नामक श्रृंगी पर है। उसके पूर्व में अलकनंदा नदी के तट पर बदरीनाथ धाम भी है।
6. भीमाशंकर, महाराष्ट्र – इस ज्योतिर्लिंग को लेकर अनेक लोक कथाएं प्रचलित है। यह महाराष्ट्र में मुम्बई और पूना के बीच स्थित सह्याद्रि पर्वत पर विद्यमान हैं। कुछ लोगो का मानना है कि भीमाशंकर असम के कामरुप में है तो कुछ का कहना है कि यह मंदिर गोवाहाटी के ब्रह्म पुर पहाड़ी पर है।
7. विश्वेश्वर महादेव/काशी विश्वनाथ, काशी, उत्तर प्रदेश – काशी की शान विश्वेश्वर महादेव पूरे उत्तर भारत की धरोहर है। पवित्र मां गंगा के तट पर विराजमान बाबा विश्वनाथ के केवल दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं।
8. त्र्यंबकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र – त्र्यंबकेश्वर महादेव नासिक जिले से कुछ दूरी पर स्थित ब्रह्मगिरी पर्वत पर विराजे हैं। जोकि गोदावरी का उद्गम स्थल भी है।
9. वैद्यनाथ, देवघर, झारखंड – वैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिध्द शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग वैसे तो देवघर झारखंड में पड़ता है। 10. नागेश्वर, द्वारका, गुजरात – रुद्र पुराण में नागेश्वर महादेव को ‘दारुकावने नागेशं’ कहा गया है। नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर होता है। यह मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित है।
11. रामेश्वरम्, तमिलनाडू – यह हिन्दुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। कहते है जो स्थान उत्तर में विश्वनाथ धाम की है, वही मान्यता दक्षिण में रामेश्वरम् की है। इसकी स्थापना स्वयं श्रीराम ने रामसेतु पुल पर लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व की थी। जो राम के ईश्वर है, वही रामेश्वर हैं।
12. घृष्णेश्वर, महाराष्ट्र – महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट ही दौलताबाद है, जहां से ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर घृष्णेश्वर महादेव का ज्योतिर्लिंग है। ऐसा सुना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। बारह ज्योतिर्लिंग में यह सबसे अंतिम ज्योतिर्लिंग है।