हिन्दू कौन-
हीनं दुष्यति इति हिन्दूः॥
अर्थात:- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करें उसे हिन्दू कहते हैं। हिन्दू शब्द का प्रारम्भ इन्हीं शब्दों से हुआ है।
‘हिन्दू’ शब्द करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द से है। यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विच्छेद करें तो पायेंगे। हीन+दू=हीन भावना+(से)दूर। अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है। हिन्दू शब्द की उत्पत्ति वेद से ही हुई है। कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है। ये केवल भ्रम फ़ैलाया गया है। हमारे ” वेदों ” और ” पुराणों ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। अत: भारत के मूल निवासीयों को अर्थात हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है? इसलिए ऐतिहासिक ग्रंथिय प्रमाण आपके समक्ष प्रस्तुत किए जा रहे हैं:-
- ऋग्वद के ” ब्रहस्पति अग्यम ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं:-
“हिमालयं समारभ्य यावद् इन्दुसरोवरं ।
‘हिन्दू’ शब्द करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द से है। यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विच्छेद करें तो पायेंगे। हीन+दू=हीन भावना+(से)दूर। अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है। हिन्दू शब्द की उत्पत्ति वेद से ही हुई है। कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है। ये केवल भ्रम फ़ैलाया गया है। हमारे ” वेदों ” और ” पुराणों ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। अत: भारत के मूल निवासीयों को अर्थात हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है? इसलिए ऐतिहासिक ग्रंथिय प्रमाण आपके समक्ष प्रस्तुत किए जा रहे हैं:-
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।”
अर्थात:- हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं।
2. केवल ” वेद ” ही नहीं, बल्कि ” शैव” ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं:-
हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।
अर्थात:- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।
3. इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक ” कल्पद्रुम ” में भी दोहराया गया है :
हीनं दुष्यति इति हिन्दूः।
अर्थात:- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।
4. ” पारिजात हरण “में हिन्दु को कुछ इस प्रकार कहा गया है :-
हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।”
अर्थात:- जो अपने तप से शत्रुओं का , दुष्टों का , और पाप का नाश कर देता है , वही हिन्दू है।
5. ” माधव दिग्विजय” में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है:-
“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।
गौभक्तो भारत: गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।”
अर्थात:- वो जो ” ओमकार ” को ईश्वरीय धुन माने , कर्मों पर विश्वास करें, गौ-पालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है।
6. केवल इतना ही नहीं, “ऋगवेद” (8:2:41) में हिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है, जिन्होंने 46,000 गौमाता दान में दी थी और “ऋग्वेद मंडल” में भी उनका वर्णन मिलता है।
अत: बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले, सनातन धर्म के पोषक व पालन करने वाले हिन्दू हैं। हिन्दू शब्द मूल रूप से भारत भूमि में ही चलन में आया। इसलिए कालांतरण में हिंदुस्तान नाम से ही अपने देश का नाम पड़ा और पिछले 200 सालों में हिंदुस्तान नाम से अनेक निजी व्यवसायों के नाम भी रखे गए। जैसे हिंदुस्तान वॉच कंपनी आदि से अनेक शुरू भी हुये। भारत की मूल पहचान को समाप्त करने व करने के लिए एक षड्यंत्र के तहत हमें यह झूठ ही बतलाया गया है कि हिन्दु शब्द भारत के बाहर के लोगों ने हमें दिया या ” सिंधु ” से ” हिन्दू ” हुआ। हिन्दू को गुमराह किया गया, ताकि भविष्य में हिन्दू पहचान को धीरे-धीरे समाप्त किया जाए। लेकिन इस सब विघ्नों में भी दुनिया में हिन्दू अपना अस्तित्व आज भी बनाए हुये है जिसका कारण हिन्दू यहाँ की पहचान है। अत: हिन्दू नाम ही भारत की राष्ट्रीय पहचान है। हिन्दू में जो मूल तत्व है वही हिंदुत्व है। वह मूल तत्व भारत की संस्कृति है, यहाँ के मान बिन्दु हैं, यहाँ के श्रेष्ठ जीवन जीने वाले महापुरुष हैं। उसी मूल तत्वों के आधार पर यहाँ के महापुरुषों ने मर्यादाएं स्थापित की। इसलिए लिए यहाँ की संस्कृति को हिन्दू संस्कृति कहा गया। श्री राम से लेकर युधिष्ठर तक, हरिश्चंद्र से लेकर स्वामी विवेकानंद तक ऐसे लाखों जीवन हैं जिंहोने हिन्दू के मूल तत्व अर्थात हिन्दुत्व की मर्यादाएं स्थापित की। इसलिए तो भारत के सर्वोच्च न्यालय ने भी कहा है “हिन्दुत्व एक जीवन जीने की कला है। इन सभी विषयों के कारण तो यह प्रचलित है कि भारत हिन्दू राष्ट्र है और भारत का राष्ट्रीयत्व ही हिन्दुत्व है। स्वामी विवेकानंद जी भी यही कहा करते थे। “गर्व से कहो हम हिंदू हैं”। अत: भारत हिन्दू राष्ट्र था, है और रहेगा।