सामाजिक चेतना एवं महिला सशक्तिकरण हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले जी ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर देश के विकास के लिए कई क्रांतिकारी काम किए है। उनको देश की पहली महिला शिक्षक होने का श्रेह भी जाता है। वह एक प्रसिद्ध कवयित्री भी थी। जब लड़कियों/महिलाओं को घर से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था, उस समय में सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले ने लड़कियों के हक के लिए आवाज़ उठाई थी।
3 जनवरी 1831 को उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। और सिर्फ 9 साल की आयु में उनकी शादी 13 साल के ज्योतिबा फुले से हो गई थी।
सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिबा फुले ने मिलकर लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने ने पुणे में लड़कियों के लिए पहिला स्कूल शुरू किया। धीरे धीरे दोनों ने मिलकर ऐसे 18 स्कूल खोलें। मजदूरों और किसानों के लिए विशेष स्कूल शुरू किया। जो रात्रि में चलता था।
समज आ चुकी अन्य असामाजिक और बुरी रीतियों जैसे छुआछूत, सती प्रथा, बाल-विवाह, और विधवा विवाह आदि के खिलाफ भी उन्होंने ने आवाज़ उठाई।
प्लेग नामक बीमारी के दौरान वह लोगों की सेवा कर रही थी और अंत में सावित्री बाई भी इसकी चपेट में आग गई और 10 मार्च 1897 को पुणे में प्लेग की बीमारी के कारण ही उनका निधन हो गया।