स्वामी विवेकानंद ने ‘उठो जागो’ का उद्घोष इसीलिए किया था क्योंकि वे देश में कभी न सोने वाले ज्ञानी योद्धाओं को देखना चाहते थे। ऐसे योद्धा जिनके पास ज्ञानरूपी अस्त्र हों और जो कभी बरगलाए न जा सकें।
जब हम किसी देश को एक सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक इकाई के रूप में प्रदर्शित करते हैं तब हमें यह समझ में आता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है और इसमें ज्ञान का कितना महत्व है। यह समझना थोड़ा कठिन है, किंतु यदि पश्चिमी संस्थानों पर विचार करें तो पाएँगे कि उन्होंने सदैव ही ज्ञान को एक अस्त्र के रूप में प्रयोग किया है.
प्राचीनकाल के युद्धों का अध्ययन करें तो पाएँगे कि पहले शक्तिशाली समूह, जिनके कबीले बड़े होते थे, उनका प्रभुत्व रहा। लेकिन, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका पूरी तरह से सूचना आधारित युद्ध के बल पर विश्व शक्ति बना।
रणनीतिक शब्दावली में इसे ‘Propaganda Warfare’ या ‘Information Warfare’ कहा जाता है। आज पश्चिम के अनेक संस्थान, वामपंथी इसे भारत के खिलाफ उपयोग कर रहे हैं।
भारत के खिलाफ चल रहे इसी ‘Propaganda Warfare’ को विफल करने के उद्देश्य से उत्तिष्ठ भारत के रूप में एक प्रयास किया जा रहा है। जिससे सही जानकारी समाज तक पहुंचे।