गौमुत्र के घरेलू उपयोग

अमरदीप जौली

  1. कब्ज व उदर शुद्धि हेतु दैनिक 4-6 चम्मच ताजा गोमूत्र कपड़े में छानकर आधा कप पानी मिलाकर प्रातः खाली पेट लिया जा सकता है।
  2. जो सीधे गौमुत्र नही ले सकते वे गौमुत्र में हरड़ें भिगोकर धीमी आंच पर पकायें। जब जलीय तत्व सूख जाये तो धूप में पूरी तरह सुखाकर इसका चूर्ण बना ले। इस चूर्ण का उपयोग करने से गौमुत्र का लाभ मिलता है।
  3. पुराना जीर्णज्वर,पाण्डु-पीलिया, सूजन में आधा चम्मच चिरायते के साथ गौमुत्र 7 दिन प्रातः, सायं लें।
  4. खाँसी, दमा, जुकाम आदि रोगों में ताजा गौमुत्र को सूती कपड़े में छानकर दो-चार चम्मच मात्र आधा कप पानी के साथ दिन में दो-तीन बार ले सकते हैं।
  5. पाण्डु रोग में ताजा गोमूत्र प्रातः खाली पेट एक माह लें। गोमूत्र में लौह चूर्ण एक सप्ताह रखें। उसके बाद अच्छी तरहः छानकर सेवन करने से अधिक लाभ होता है।

गोमूत्र को कांच, मिट्टी अथवा चीनी मिट्टी के पत्र में ही रखना चाहिए।

  1. बच्चों की कूकर खाँसी में हल्दी मिलाकर प्रयोग करें। मात्रा के बारे में किसी अनुभवी चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
  2. पेट के सभी रोगों हेतु 3-4 चम्मच गोमूत्र का प्रयोग दैनिक दो तीन बार करें।
  3. जलोदर रोगी को गौदुग्ध व गौमुत्र में शहद मिलाकर दिन में दो बार दें। गोमूत्र चार चम्मच, दूध 100-200 ग्राम, शहद दो चम्मच।
  4. शरीर में सूजन होने पर सिर्फ दूध व गोमूत्र का सेवन करें। भोजन न करें।
  5. गौमुत्र में नमक, शक्कर बराबर मिलाकर पीन से उदर रोग ठीक होते हैं।
  6. गौमुत्र में सेंधानमक, राई चूर्ण मिला कर सेवन से उदर रोग नष्ट होते हैं।
  7. आंखों की जलन, कब्ज, सुस्ती व अरुचि में गौमूत्र के साथ शक्कर का प्रयोग करें।
  8. चर्म रोगों, खुजली में गौमूत्र में अम्बा हल्दी मिलाकर सेवन करें।
  9. प्रसूति के बाद होने वाले प्रसूती रोगों में गोमूत्र का प्रयोग करें। उत्तम परिणाम मिलेंगे।
  10. चर्म रोगों में हरताल, बावची, मालकांगुनी को गौमूत्र 7 पीसकर लेप करें
  11. सफ़ेद दाग में बावची और मालकांगुनी गौमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से उत्तम परिणाम मिलेंगे। साथ में गोमूत्र पान करें तथा आहार का उचित परहेज करें।
  • साभार वैद्य राजेश कपूर, सोलन (हि. प.)

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