राजा गज सिंह ने बसाया था गजनी शहर

अमरदीप जौली

आज बेशक गजनी शहर लुटेरे मोहम्मद गजनवी के नाम से जाना जाता है। मोहम्मद गजनवी ने अपने नाम के साथ अपने शहर का नाम गजनी तो लगाया मगर उसे बसाया किसी और ने था। मोहम्मद गजनवी ने भारत पर कई हमले किये थे और सोमनाथ मन्दिर पर उसके हमले काफी कुख्यात है परन्तु शहर गजनी राजा गज सिंह का बसाया हुआ है। त्वारीख-ए-जैसलमेर के पृष्ठ संख्या 9,10 का एक दोहा बड़ा प्रसिद्ध है-

तीन सत्त अतसक धरम, वैशाखे सित तीन।

रवि रोहिणि गजबाहु नै गजनी रची नवीन।।

यानि गजबाहु ने युधिष्ठिर संवत् 308 में गजनी शहर को बसाया था। प्रसिद्ध अरबी इतिहासकार याकूबी के अनुसार नवीं शती में भारत की सीमायें ईरान तक थी। 712-13 ई. में सिन्ध पर मुसलमानों का अधिकार हो गया। विजय से उत्साहित होकर बुखारा बगदाद के खलीफा बलदीन ने अपने गुलाम यदीद खाँ को मेवाड़ पर बड़ी विजय के लिए भेजा। उस समय चित्तौड़गढ़ के शासक वीरमान सिंह थे और उनके सेनानायक थे बप्पा रावल जो खुद उनके भांजे थे। उन्होने आगे बढ़कर यदीद खाँ की सेना ‘का सामना किया, चित्तौड़गढ की सहायता में अजमेर, गुजरात, सौराष्ट्र की सेनायें भी आ गईं। बड़ा भयानक युद्ध हुआ, हाथी धोड़ों की लाशों के ढेर लग गये, राजपूतों की तलवारें उन विधर्मियों को ऐसे काट रही थी जैसे किसान अपनी फसल बचाने को खर-पतवार काटता है। एक तरफ यदि इ्स्लामी जेहादी जुनून था तो दूसरी तरफ राष्ट्र् रक्षा की भावना, एक तरफ हवस और लूटपाट थी तो दूसरी तरफ मातृभूमि की रक्षा का संकल्प। अत: युद्ध में बप्पा को विजय मिली। बप्पा रावल केवल एक अजेय योद्धा ही नही दूरद्शी राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने भाग रहे दुश्मनों का पीछा किया और उन्हें गजनी में जा घेरा। गजनी ‘को वो अपने पूर्वजो की विरासत मानते थे। उस समय गजनी का शासक शाह सलीम था, उसने बड़ी सेना के बप्पा से मुकाबला किया लेकिन बप्पा के सामने टिक न सका। जान बचाने के वास्ते अपनी बेटी की शादी बप्पा से कर दी। गजनी के सिंहासन पर बैठकर बप्पा ने ईंराक, ईरान तक भगवा फहराया, जिसकी पुष्टि अबुल फजल ने भी की है। प्रसिद्ध अंग्रेज इतिहासकार कर्नल टॉड के अनुसार बप्पा ने कई अरबी युवतियों से विवाह करके 32 सन्तानँं पैदा कीं जिनकी सन्तानें आज अरब में नौशेरा पठान के नाम से जानी जाती हैं।

साभार ऑपडण्डिया

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