निराश नहीं होना चाहिए

अमरदीप जौली

नेक कामों का फल देर से ही सही, लेकिन मिलता जरूर है। इसीलिए निराश नहीं होना चाहिए और अच्छे काम करते रहना चाहिए। ये बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं। प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक धनी व्यक्ति ने बहुत बड़ा मंदिर बनवाया। मंदिर बहुत ही सुंदर था। कुछ ही दिनों में मंदिर प्रसिद्ध हो गया। भक्तों ‘की भीड़ बढ़ने लगी। धनी व्यक्ति ने सोचा कि अब मंदिर में किसी को प्रबंधक नियुक्त कर देना चाहिए, ताकि मंदिर आने वाले भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो।

बात नगर के लोगों को मालूम हुई तो मंदिर निर्माता के पास अमीर घरों के पढ़़े-लिखे लोग मंदिर का प्रबंधक बनने के लिए पहुंचने लगे। सभी को लग रहा था कि मंदिर से काफी धन प्राप्त किया जा सकता है। धनी व्यक्ति सभी की मंशा समझ गया था, इसीलिए उसने किसी भी अमीर और पढ़े-लिखे व्यक्ति को प्रबंधक नियुक्त नहीं किया।

ऐसे ही काफी दिन हो गए, लेकिन कोई योग्य प्रबंधक नहीं मिल पा रहा था। तभी एक दिन मंदिर निर्माता ने देखा कि मंदिर के मार्ग में एक पत्थर लगा हुआ था। पत्थर की वजह से कई भक्तों को ठोकर भी लग रही थी। तभी एक व्यक्ति आया और वह उस पत्थर को निकालने की कोशिश करने लगा। काफी मेहनत के बाद उसने पत्थर निकाल दिया और रास्ता समतल कर दिया। वह एक गरीब व्यक्ति था। उसने कपड़े भी फटे-पुराने पहन रखे थे। पत्थर निकालने के बाद वह मंदिर में पहुंचा और प्रार्थना करने लगा। मंदिर निर्माता उस गरीब के पास पहुंचा और उसे मंदिर का प्रबंधक नियुक्त कर दिया। गरीब व्यक्ति को अच्छा वेतन और मंदिर में ही रहने ‘के लिए घर भी मिल गया। एक ‘नेक काम ‘की वजह से उसका जीवन बदल गया। प्रसंग की सीख इस छोटी सी कथा की सीख यह है कि जो लोग अच्छे काम करते है उन्हें .. अच्छा फल मिलने में थोड़ी देर जरूर हो सकती है, लेकिन नेक कामों का ‘नेक फल जरूर मिलता है। इसीलिए निराश नहीं होना चाहिए और अच्छे काम ‘करते रहना चाहिए।

Leave a comment
  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Copy Link
  • More Networks
Copy link
Powered by Social Snap