पथिक

अमरदीप जौली

हे पथिक! ध्येय पथ पर बढ़ते हुए रुकना मत,

आंधी का सीना चीरकर बढ़ना रुकना मत।

मार्ग मे दलदल भी है धंसना मत,

एषणाओं के जाल बिखरे है फंसना मत।

मोह में लगाव में किसी के प्रभाव मे मत आना,

ले अक्षय ध्येयनिष्ठा उर में बस तुम डट जाना।

परिश्रम तेरा धर्म है, पुरुषार्थ तेरा कर्म है,

पथ के कंटको को कुचल कर बढ़ना झुकना मत,

हे पथिक! ध्येय पथ पर बढ़ते हुए रुकना मत।

इस पथ पर चलने हेतु ही हुआ तेरा उद्भव है,

पथ का अंतिम लक्ष्य,भारत का परम् वैभव है।

तू लक्ष्य प्रेरित बाण है चूकना मत,

हे पथिक! ध्येय पथ पर बढ़ते हुए रुकना मत।

✍🏻 सौरव

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