दिल्ली किसान आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों के मुंह मेें मुंह डाल कर सांझी रोटी खाने वाले आम आदमी पार्टी के के नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान आज किसानों के बारे क्या बोल रहे हैं, जरा सुनिए …‘किसानों और यूनियनों का अस्तित्व अलग-अलग है क्योंकि यूनियनों के नेताओं ने किसानों के हित बचाने के नाम पर अपनी दुकानें खोल रखी हैं। किसान यूनियनों के नेता अवैध रूप से धन इक_ा करके बड़ी संपत्ति के मालिक बन गए हैं और यहां तक कि इनकी राज्य के कई होटलों और अस्पतालों में भी हिस्सेदारी है। किसी किसान यूनियन के नेता में कृषि संकट को लेकर कोई समाधान है तो वह मुझसे बहस करे। किसान यूनियनें बेतुके मुद्दों पर सडक़ों और रेलों को रोककर सिर्फ अपनी दुकानें चला रही हैं। जबकि, पंजाब के गंभीर मुद्दों के प्रति चुप्पी साध लेती हैं। इन किसान नेताओं को किसानों से कोई सरोकार नहीं बल्कि वे सिर्फ अपने हित पूरे कर रहे हैं। किसान यूनियनें संघर्ष करने की आड़ में किसानों से फीस वसूलती हंै।’ ….और भी न जाने क्या क्या कहा मान साहिब ने।
भगवंत मान की हालत देख कर उस मुल्ला शेखचिल्ली की याद आती है जो काले इलम से मरे हुए शेर को जीवित तो कर लेते हैं और जब शेर उसे ही खाने दौड़ता है तो मुंह से डर के मारे कलमा भूल अनाप शनाप बोलने लगते हैं।
दरअसल पंजाब में आजकल चर्चा है लैंड पूलिंग नीति की, जिसे साल 2013 में मोहाली (एसएएस नगर) के लिए अधिसूचित किया गया। सरकार अब इसे लुधियाना के लिए लाने की योजना बना रही है। गत दिनों पंजाब मंत्रिमण्डल की हुई बैठक में शहरी विकास विभाग को राज्य में अन्य अर्बन एस्टेट बनाने की मंजूरी दे दी। राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि राज्य सरकार जमीन मालिकों से एक एकड़ जमीन लेकर उसे विकसित कर जमीन मालिक को 1000 वर्ग गज रिहायशी व 200 वर्ग गज व्यवसायिक आवंटित करेगी। जिसे जमीन का मालिक आगे ग्राहकों को बेच सकेगा। सरकार अपनी इस योजना को किसानों व आम उपभोक्ताओं के हित में बता रही है तो विपक्ष के साथ-साथ किसान यूनियनों विरोध का झण्डा उठा लिया है। अभी इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है परन्तु मीडिया में आरही खबरों के अनुसार, लुधियाना में इसके तहत 24000 वर्ग एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की योजना है। इसी विरोध को लेकर भगवंत मान आजकल गुस्से में है।
केवल मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष से जुड़े उच्च स्तर से लेकर वार्ड स्तर के लोग इस योजना के फायदे गिना रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का कहना है कि इस लैंड पूलिंग योजना का उद्देश्य किसानों के लिए आय का स्थायी स्रोत पैदा करके उन्हें राज्य के विकास और प्रगति में सक्रिय भागीदार बनाना है। उन्होंने कहा कि राज्य में किसी भी किसान की जमीन जबरदस्ती अधिग्रहित नहीं की जाएगी और केवल सहमति देने वाले किसान ही इस नीति के तहत अपनी जमीन देंगे। मान ने कहा कि इस नीति के अनुसार किसानों को मुआवजे के अलावा इस योजना में वाणिज्यिक और आवासीय प्लॉट भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लैंड पूलिंग योजना में बनाई जाने वाली नियोजित कालोनियों में वाणिज्यिक संपत्ति किसानों के लिए स्थायी आय का साधन होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नई नीति का उद्देश्य राज्य के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पंजाब में देश भर में सबसे अधिक अवैध कालोनियां हैं। जिसके, लिए पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं। मान ने कहा कि इन कालोनियों में कोई भी बुनियादी नागरिक सुविधाएं नहीं हैं, जिस कारण लोगों को दुख-तकलीफ झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि अवैध कालोनियों के बेतरतीब विस्तार को रोकने के लिए लैंड पूलिंग योजना पेश की गई है। जिसमें, जमीन मालिक का पूरा अधिकार होगा कि वह इसे अपनाए या न अपनाए। उन्होंने कहा कि लोगों की सहमति से सरकार द्वारा प्राप्त की गई जमीन का उपयोग अर्बन एस्टेटों के निर्माण के लिए किया जाएगा, जिससे नियोजित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
विपक्ष का कहना है कि पंजाब में एक तरफ जहां नगरों की हालत खराब है, शहरों की सडक़ें, सीरवेज, सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है, पहले से मौजूद नगरों महानगरों की उचित देखभाल नहीं की जा रही तो नए अर्बन इस्टेट बनाने का क्या औचित्य है? विपक्ष का कहना है कि पंजाब की इंच-इंच भूमि उपजाऊ है, इतनी बड़ी खेती की जमीन को कंकरीट के जंगल में बदलना खाद्य सुरक्षा व पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है। किसान संगठनों का कहना है कि इतनी बड़ी भूमि पर कृषि के कामों में लगे लोगों के रोजगार का क्या होगा ? उन्हें कहां विस्थापित किया जाएगा? विभिन्न पक्षों द्वारा इस योजना को लेकर तरह-तरह की आवाजें उठाई जा रही हैं। इनका जवाब देने की बजाय मान साहिब त्यौरियां चढ़ाए घूम रहे हैं, तभी तो पंजाब के लोग पूछ रहे हैं कि भगवंत मान इतने गुस्से में क्यों है भाई?
भगवंत मान इतने गुस्से में क्यों है भाई?

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