शिमला के जिहादी अड्डे का टूटना बहुत आवश्यक हो गया है

अमरदीप जौली

रवि रौणखर

  • शिमला की हिंदू महिलाओं ने बताया नमाजियों का काला सच
  • क्या हिमाचल सरकार मस्जिदों का अधिग्रहण भी कर सकती है?

ऊना/ 7 सितंबर 2024

मस्जिदों का हिंसा, बलात्कार, राष्ट्रद्रोह और दंगों से पुराना नाता रहा है। दुनिया भर में फैला इस्लामिक जिहाद मस्जिदों से ही संचालित होता है। हिमाचल की राजधानी शिमला में भी हिंदू लड़कों पर जानलेवा हमला करके आधा दर्जन लोग संजौली की एक मस्जिद में ही पनह लेते हैं। कहने को तो मस्जिद एक प्रार्थना स्थल है लेकिन कश्मीर में हिंदुओं के कत्लेआम के आदेश भी मस्जिदों से ही जारी हुए थे। बात 19 जनवरी 1990 की है। मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से ऐलान के बाद सारे कश्मीरी हिंदुओं के घर के दरवाजों पर नोट चिपका दिए गए जिसमें लिखा था~  “या तो मुस्लिम बन जाओ या मरने के लिए तैयार हो जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ लेकिन अपनी औरतों को यहीं छोड़कर “।
रिपब्लिक टीवी रिपोर्टर कोमल बहल की रिपोर्ट में संजौली की महिलाओं ने जो अपना दर्द बयान किया है उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। संजौली की अवैध मस्जिद वालों ने महिलाओं की वीडियो बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरों का मुंह हिंदू घरों की ओर कर रखा था ताकि महिलाओं की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए जा सकें। उज्जैन महाकाल में शिप्रा नदी के रामघाट पर बनी मस्जिद के सीसीटीवी का मुंह घाट की उस ओर ही था जहां हिंदू महिलाएं स्नान किया करती थीं। मुसलमानों ने सीसीटीवी से महिलाओं की नहाते हुए की असंख्य फोटो और वीडियो इंटरनेट पर वायरल कर दी थीं। इंटरनेट पर अपनी अर्धनग्न फोटो देखकर ही महिलाओं ने शोर मचाया था।
संजौली की हिंदू महिलाओं ने यह भी बताया है कि मस्जिद के नमाजी बाथरूम का दरवाजा खुला रखकर शौच करते थे। जब हिंदू महिलाओं ने विरोध किया तो मौलवियों ने हाथापाई भी की थी। अर्थात लंबे समय से मस्जिद के नमाजी अपनी अश्लील हरकतों से हिंदू महिलाओं को परेशान कर रहे थे और प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा रहा।
बात मस्जिदों और इस्लामिक सोच की चल रही थी। 1990 में कश्मीर की “मस्जिदों के लाउडस्पीकर” लगातार तीन दिन तक यही आवाज दे रहे थे कि यहां क्या चलेगा, “निजाम-ए-मुस्तफा”,
‘आजादी का मतलब क्या “ला इलाहा इलल्लाह”, ‘कश्मीर में अगर रहना है, “अल्लाह-ओ-अकबर” कहना है।
और
‘असि गच्ची पाकिस्तान, बतानेव रोअस ते बतानेव सान” जिसका मतलब था कि हमें यहां अपना पाकिस्तान बनाना है, कश्मीरी पंडितों के बिना मगर कश्मीरी पंडित महिलाओं के साथ।
कश्मीर में सदियों का भाईचारा कुछ ही समय में समाप्त हो गया था जहाँ हिंदू अध्यापकों से पढ़े लोग उनकी ही महिलाओं की अस्मत लूटने को तैयार हो गए थे।
इसलिए इस्लाम किसी दूसरी संस्कृति के साथ भाईचारे के साथ रहने की शिक्षा नहीं देता। 1947 में मुसलमानों ने अपना देश ले लिया था। 10 लाख लोगों की लाशों के ऊपर इस्लामिक राष्ट्र बना लिया था। लेकिन भारत का क्या बना? भारत फिर से बंटवारे के मुहाने की ओर बढ़ रहा है। भारत के भीतर एक और पाकिस्तान को जिंदा रखा गया। जिसे वंदे मातरम और भारत माता से चिढ़ है। जो अक्सर पाकिस्तान जिंदाबाद व सर तन से जुदा के नारे लगाता है। जो गाय काटकर उसके सिर के साथ सेल्फी लेता है। जो हिंदू लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाने पर मुस्लिम लड़कों को इनाम देता है। भारत के भीतर उस पाकिस्तान को 1947 से 2024 तक जिंदा रखने का श्रेय भारत की सरकारों को जाता है जिन्होंने वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं और हिंदुओं के मंदिर कब्जाकर उनकी धार्मिक शक्ति क्षीण कर दी।
साथ में पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) बनाकर हिंदुओं के 40 हजार मंदिर सदा सदा के लिए छीन भी लिए जिनको तोड़कर मस्जिदें और मजारें बनाई गई हैं। यह इसलिए किया गया ताकि हिंदू भविष्य में अपने अपने खोए हुए सम्मान को दोबारा हासिल न कर सके।
देश के लोगों को पता होना चाहिए कि वक्फ बोर्ड के पास भारत के संविधान से भी अधिक ताकतें हैं। वक्फ बोर्ड चाहे तो हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू  को उनके पैतृक निवास स्थान से उखाड़कर बाहर फेंक सकता है। उनके घर पर इस्लामिक दावा ठोक सकता है और माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास मातम के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। क्योंकि वक्फ बोर्ड स्वयं जमीन पर दावा ठोकता है। डीसी को आदेश दे सकता है कि पुलिस बल के साथ जाओ और हमारी जमीन खाली करवाओ। यदि सुक्खू अपने घर के एक सदी पुराने रिकॉर्ड लेकर चिल्लाएंगे भी तो भारत का कोई भी कोर्ट उनकी सुनवाई नहीं कर सकता। भारत का सुप्रीम कोर्ट शक्तियों के मामले में वक्फ बोर्ड से बौना है।
वक्फ बोर्ड भारत के लोकतंत्र को पंगु बना देता है। सुक्खू जी को अपना घर बचाने के लिए उसी वक्फ बोर्ड के ट्रिब्यूनल में जाना होगा जिसने उनका घर कब्जाया है। यानी पीड़ित व्यक्ति लुटेरों के आगे गिड़गिड़ाए। वक्फ के ट्रिब्यूनल में एक मुल्ला जज बैठा होगा। सुक्खू को उसके आगे ही फरियाद लगानी होगी। अब जो मुल्ला इस्लामिक किताब में यह पढ़ चुका है कि “पूरी धरती अल्लाह ने मुसलमानों के लिए ही बनाई है” तब एक काफिर नेता की क्या मजाल है कि वह अपना घर जिहादी भूमाफिया से छुड़ा पाए।
सुक्खू जी इस राज्य के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं लेकिन वक्फ बोर्ड सुक्खू से भी ताकतवर संस्था है। जिसके ऊपर भारत का कानून लागू नहीं होता, बेशक वक्फ को संसद ने कानून बनाकर ही गठित किया था। यानी भारत के राजनेताओं, भारत के लोकतंत्र और भारत के संविधान ने मुसलमानों को भारत की सारी संपत्ति का मालिक बनाने की ताकत दे दी है। वक्फ की तुलना केवल भस्मासुर से ही की जा सकती है जो वरदान देने वाले को भी समाप्त करने की राह पर चल पड़ता है। (सुक्खू का उदाहरण केवल समाज को वक्फ की असीमित शक्तियों की जानकारी देने के लिए ही दिया गया है।)
अब मैं प्रणाम करता हूं उस मां को जिसने अनिरुद्ध सिंह जैसे सनातनी सपूत को जन्म दिया। हिमाचल सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने हिमाचल विधानसभा के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण वक्तव्य देते हुए सोए हुए हिंदू समाज को थपकी लगाने का काम किया है। उन्होंने शिमला के संजौली में बनी एक अवैध मस्जिद का मसला सदन के भीतर और बाहर पूरी ताकत से उठाया है। उन्होंने हिमाचल में रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठ पर भी चिंता जाहिर की है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ये कौन लोग हैं जो आपके आसपास मंडराने लगे हैं। जगह जगह कब्जा करके बैठे हैं। महिलाओं का निकलना मुश्किल हो गया है। क्या ये रोहिंगिया मुसलमान हैं। उन्होंने तथ्यों के साथ बताया है कि जिसे मस्जिद कहा जा रहा है वह तो हिमाचल सरकार की भूमि है। मस्जिद तो कब्जा करने के लिए ही बनाई गई है। अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के मौलवियों को साफ साफ शातिर अपराधी बताया है। क्योंकि 10 साल तक मस्जिद का केस लड़ने वाले का उस जमीन से कोई लेना देना ही नहीं था। एक मौलवी 10 साल तक सरकार को मूर्ख बनाता रहा और कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह भूमि कब्जाने का षड्यंत्र था जिसमें हिमाचल सरकार के अधिकारी भी शामिल थे। 10 साल तक शिमला का नगर निगम एक अपराध को छिपाता रहा। जब शातिर मौलवी कागज नहीं दिखा पाया तो वक्फ बोर्ड नाम का भूमाफिया इस षड्यंत्र में कूद पड़ा। यानी एक शातिर हटा तो दूसरा आ गया।
वक्फ बोर्ड का अर्थ है भारत के भीतर एक चलता फिरता पाकिस्तान। वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के राज्य हिमाचल प्रदेश में जितनी भी संपत्ति को हड़पा है उसे हिमाचल सरकार को कब्जा लेना चाहिए। इस्लामिक एजेंडे पर चलने वाले प्रत्येक विचार, संस्थान के दमन का समय बीतता जा रहा है। इस्लामिक ताकतों को कुचलना इस शांतिप्रिय राज्य का नंबर वन एजेंडा होना चाहिए।
बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत के हिंदुओं को सीखना चाहिए कि थोड़ी बहुत शक्ति मिलने पर मुसलमान किसी भी अन्य मत पंथ संप्रदाय के साथ शांति से नहीं जी सकता। यह बात गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और डॉ बीआर अंबेडकर भी कह चुके हैं लेकिन उनके विचारों को भारतीय जनमानस से छिपाया गया। कश्मीर, बंगाल, असम, त्रिपुरा, केरल, तेलंगाना, आंध्र, कर्नाटक, यूपी, बिहार, झारखंड, मेवात; जिस जिस जगह हिंदू की संख्या कम हुई या मुसलमानों की संख्या में बढ़ौतरी हुई वहां हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया। बहन बेटियों के विरुद्ध यौन हिंसा बढ़ गई। दंगे रोजमर्रा की बात हो गई। हिंदू या तो पलायन को मजबूर हुआ या डर के साए में जीने लगा। यही चलन इस समय यूके, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, जर्मनी और इटली में भयावह रूप ले चुका है। इस देशों में मुसलमान घुसपैठियों द्वारा यूरोपियन मूल की लाखों बच्चियों के बलात्कार और अप्रत्याशित हिंसा पर गोरे लोग किसी भी समय हथियार उठा सकते हैं। अर्थात इस्लामिक जिहाद यूरोप को गृह युद्ध की ओर धकेल चुका है।
पूरी दुनिया को अशांत करने वाली यह मानसिक बीमारी आखिर आई कहां से? इस्लामिक किताबें और मुल्ला पार्टी स्पष्ट रूप से गैर मुसलमानों को कत्*ल करने और उनकी महिलाओं के अपहरण, बलात्कार व उन्हें गुलाम बनाने की शिक्षा देती हैं। सब जानते हुए। पूर्वजों की चेतावनी को दरकिनार करते हुए हिंदू सोया रहा। उसके नेता सोए हुए हैं। उसके धर्मगुरु इस पिशाचाक संस्कृति के प्रति उदासीन हैं। हिमाचल के हिंदुओं को सचेत करने के प्रयास भी उनकी ओर से नहीं होते।
जब इस्लामिक किताबें हिंदुओं के समूल विनाश की बात करती हों। बांग्लादेश पाकिस्तान अफगानिस्तान कश्मीर में इस्लाम के सजीव उदाहरण मिल चुके हों। फिर  कायरता भरी अमन की आशा, गंगा जमुनी तहजीब की जहरीली जलेबी और भाईचारे का विषाक्त चूरन क्यों चाटा जाए?
हिमाचल हिंदुओं का एकमात्र सुरक्षित स्थान था। अब लाखों की गिनती में जिहादियों का जमावड़ा हिमाचल के हिंदुओं के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। दो साल पहले ऊना जिला के अंब की 15 वर्षीय हिंदू लड़की का जिहादी आसिफ मोहम्मद जब गला रेत रहा था तब उसने कलमा पढ़कर जन्नत के ख्वाब देखे थे, सुना है पुलिस ने चार्जशीट से कलमा पढ़कर गला काटने की बात छिपा ली थी।
अब कोई हिमाचल के “मठ मंदिर मंत्री” मुकेश अग्निहोत्री से पूछे कि भैया हमारे 40 शक्तिपीठों को सरकार ने कब्जा रखा है, कोई एक आध मस्जिद चर्च का अधिग्रहण करके भी देख लो।
मठ मंदिर मंत्री विधानसभा में मस्जिद अधिग्रहण बिल कब  लाएंगे? हिंदू क्या दोयम दर्जे का नागरिक है कि सेकुलर सरकारें मुंह उठाकर जब मर्जी उसके धार्मिक स्थल कब्जा लेती हैं और दूसरे धर्मों को खुल्लम खुल्ला जमीनें कब्जाने और अवैध गतिविधियों की मंजूरी दे देती हैं। क्या भारत में हिंदुओं को इस तरह से मुस्लिम बहुल इलाकों में मंदिर बनाते देखा है?
जिस प्रकार यूपी और जम्मू कश्मीर के मुस्लिम लड़के असंख्य गिनती में बेखौफ होकर हमारे गांव शहर कस्बों और घरों में घुस रहे हैं क्या इसी प्रकार हिंदू लड़के भी कश्मीर के गांव गांव काम धंधे कर सकते हैं?
भारत के किसी भी अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू बिना खौफ के न तो रह सकता है और न ही कोई काम धंधा कर सकता है। क्या बिना सेना के हिंदू वहां धार्मिक यात्रा कर सकता है?
असल में हिमाचल का हिंदू धार्मिक रूप से विकलांग है। दक्षिणी भारत की स्थिति भी कुछ कुछ ऐसी ही है। हमारे मंदिरों के अरबों खरबों रुपए के चढ़ावे पर सरकारें कुंडली मारे बैठी हैं। जबकि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों का पैसा जिहाद में खर्च होता है और हिंदुओं का पैसा विकास और आपदा के नाम पर सरकारें लूट कर ले जाती हैं।
हिमाचल के बड़े मंदिर यदि सनातन समाज के अधीन होते और उन मंदिरों की कमेटियों का चिंतन स्पष्ट रूप से हिंदू हित की तरफ झुका होता तो देवभूमि जिहादियों से मुक्त हो चुकी होती। हमारे मंदिरों में विराजमान पुजारी समाज को एकजुट होकर मंदिरों को पहले सरकार से मुक्त कराना होगा। मंदिरों के चढ़ावे पर हिंदुओं की आपसी लड़ाई का नतीजा ही है कि दो बिल्लियों के द्वंद में सरकार रूपी बंदर चढ़ावा चाट जाता है। अब सोचिए जमाते इस्लामी जैसे जिहादी संगठन हजारों हिंदुओं के हत्यारों के केस छाती ठोककर लड़ते हैं। उनका चिंतन स्पष्ट है। वे अपने आतंकी मोमिन के लिए करोड़ों खर्च कर सकते हैं, और यदि कोई हिंदू युवा गौ तस्कर को मौत के घाट उतार दे तो उनका परिवार सड़क पर आ जाता है। हिंदू सदा से एक असंगठित कौम के रूप में विकसित हुआ है।
उसने विपत्ति में सरकार की ओर ताकने की आदत त्यागी नहीं है। अभागा हिंदू सदैव सरकारों का गुलाम ही रहा है। हमारे बाबा लोग, संत समाज भी सेकुलर और गहन निद्रा में है। देवभूमि में हम फूहड़ गायकों से अपनी मां के जगरातों में अल्ला हू करवा रहे हैं। जबकि एक भी मस्जिद में किसी ने भागवत या जगराता होते देखा है? हिमाचल सरकार, हिमाचली हिंदू के करोड़ों रुपए, संस्कृति के नाम पर फूहड़ सूफी गायकों के खातों में जमा करवा चुकी है। चंबा में मिंजर मेला 2024 में गायक जावेद अली को 22 लाख 50 हजार रुपए दिए गए। मां चिंतपूर्णी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले और सिर्फ नवरात्रों में मांस छोड़ने वाले सलीम शहजादा उर्फ मास्टर सलीम को 10 लाख, अफसाना खान को 10 लाख 80 हजार दिए गए।
बात एक ही है: हिंदू में शत्रुबोध नहीं है। जबकि इस्लामिक ताकतें पहले दिन से ही अपनी किताबों में गैर मुसलमानों को दुश्मन मानकर आगे बढ़ रही हैं। अब जिस संस्कृति में शत्रुबोध समाप्त हो जाए वो यदा कदा किसी इवेंट की तरह प्रदर्शन तो कर सकती है लेकिन कालांतर में अपने अस्तित्व को बचा नहीं सकती।
संजौली, शिमला के हिंदू समाज ने अच्छी शुरुआत की है। अब एक भी जिहादी शिमला में टिकना नहीं चाहिए। अवैध फड़ी रेहड़ी गायब हो जानी चाहिए। फेरीवाले आपके घरों और गांवों में न घुसने पाएं। अपनी सड़कों और नैशनल हाइवे को घुसपैठीया फ्री करवाएं। संजौली के जिहादी अड्डे को भी तुरंत प्रभाव से तोड़कर हिंदू समाज एक कठोर संदेश दे सकता है।
वक्फ बोर्ड की तरह देवभूमि सनातन बोर्ड का गठन करके, वक्फ द्वारा कब्जाई गई संपत्तियों को वापस हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए। यदि वक्फ बोर्ड इस्लाम के बनने से पहले के मंदिरों पर दावा ठोक सकता है तो हम भी देवभूमि की एक एक इंच भूमि इस्लामिक ताकतों से वापस छीन सकते हैं। भारत हिंदुओं की भूमि है। एक टुकड़ा काटकर 47 में गंवा चुके हैं, फिर वक्फ बोर्ड आपके गांव शहर कस्बे में दिखाई भी कैसे दे सकता है। बात हिंदू अस्तित्व की है। उसके लिए हमारी यही मांग है कि किसी हिंदू नेता को आगे बढ़ाया जाए। कमल गौतम दो दशक से इस विषय पर हमें जागरूक कर रहे थे। सरकार उनकी नौकरी भी छीन चुकी है। अब समस्त सनातन समाज को परिपक्व हिंदू नेतृत्व को सत्ता के गलियारों में भेजना ही होगा। आज 68 में से एक विधायक बोला है। देवभूमि के हित के लिए हमें 68 के 68 विधायक ऐसे चाहिए जो इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध युद्धस्तर पर कार्य करें। सेकुलर नेताओं की राजनीति से जल्द मुक्ति मिले तभी यह राज्य बचेगा। याद रखें भारत में इस्लाम की एंट्री हिंदुओं की हत्या, हिंदू महिलाओं के बलात्कार, हिंदू मंदिरों के विध्वंस और अमानवीय अत्याचार के दम पर हुई है। मैंने ऊपर जो भी लिखा है उन सभी बातों को सिद्ध करने के प्रमाण प्रत्येक मदरसे, प्रत्येक पुस्तकालय और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इस्लामिक ताकतें सदियों से एक ही लक्ष्य लेकर चली हैं कि एक दिन पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम फहराया जाएगा और एक भी गैर मुसलमान इस धरती पर नहीं बचेगा। ये सारे सिद्धांत इस्लाम के मौलिक स्तंभ हैं। इस्लाम दूसरे मत, पंथ, संप्रदायों के लोगों के जीवित होने को अपने ऊपर अत्याचार मानता है। इसलिए संजौली की अवैध मस्जिद की लड़ाई केवल अवैध बिल्डिंग का मसला नहीं है। यह विशुद्ध रूप से देवभूमि के हिंदू स्वरूप को बचाने की मुहिम है।

(रवि रौणखर)
raviraunkhar@gmail.com

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