(चैत्र शुक्ल नवमी/ जन्मोत्सव)
त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने के तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया था । श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर अयोध्या में हुआ था ।
यह पर्व बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है । रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है ।
श्रीराम कितने उदार थे उनके इस प्रसङ्ग से जाना जा सकता है कि जब रावण के कुकर्मों से तङ्ग आकर विभीषण जब श्रीराम की शरण में पहुँचे तो भगवान राम ने आईये लंकेश! कहकर उनका स्वागत किया और रावण वध से पूर्व ही उसका राज्यभिषेक कर दिया ।
तब सुग्रीव ने शंका जताई थी – यदि विभीषण की भाँति रावण शरण में आए तो आप क्या करेंगे, लंका का राज्य तो आप विभीषण को दे चुके हैं तो फिर रावण को क्या देंगे?
तब प्रभु श्रीराम ने अत्यन्त स्नेहपूर्वक कहा, “रामोद्विर्नायिभाषते” अर्थात् राम के बाण की भाँति राम का वचन भी एक है ।
यदि विभीषण की भाँति रावण शरण में आए तो मैं विभीषण का राज्य वापिस नहीं लूँगा, बल्कि अपनी अयोध्या का राज्य रावण को देकर स्वयं आजीवन वनवास भोगूँगा ।
राम नवमी के दिन प्रभु श्रीराम की विशेष पूजा की जाती है. भगवान राम की स्तुति की जाती है । इस दिन विधि पूर्वक भगवान राम की पूजा करने से जीवन में आनी वाली परेशानियां दूर होती हैं और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है ।
पञ्चाङ्ग के अनुसार नवमी की तिथि का प्रारम्भ 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01:23 मिनट से हो रहा है. नवमी की तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03:14 मिनट पर होगा ।
राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त:
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – सायं 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक
रवि योग – पूरे दिन रहेगा ।
राम नवमी का पर्व विशेष माना गया है । इसलिए इस दिन पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखें । 17 अप्रैल को प्रात: काल सूर्य निकलने से पूर्व उठना चाहिए और स्नान करने के बाद व्रत और पूजा की क्रिया आरंभ करनी चाहिए।
मंदिर में भगवान की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएँ । सभी देवी देवताओं का स्मरण करना चाहिए और आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए । भगवान राम को पुष्प अर्पित कर मिष्ठान और फल का भोग लगाना चाहिए । पूजा समाप्त करने से पूर्व आरती करें।
श्रीराम नवमी
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