जब देश में 18वीं लोकसभा गठन के लिए चुनाव घोषित हो चुके हों तब सनातन संस्कृति पर किये जा रहे प्रहार पर सार्वजनिक रूप से कुछ कहना लोगों को राजनीतिक विमर्श लगेगा, लेकिन उन्हें स्वयं सोचना चाहिए, जो सेल्फ गोल कर रहे हैं। सनातन संस्कृति पर प्रहार करना इंडी गठबंधन का प्रमुख एजेंडा है। इंडी का पूरा जमावड़ा सनातन विरोधियों का है। इसमें मोहब्बत की दुकान पर नफरत का सामान के होलसेलर, धर्मनिरपेक्षता के विष बीज, भ्रष्टाचार के खिवैया, पेरियार वंशी, परिवारवादी भ्रष्ट नेता, कौम को नष्ट करने के उतारू देशद्रोही, धर्म के नाम पर हत्याओं के हामी सभी शामिल हैं।
कुछ दिन पूर्व कॉंग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने पड़नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” में लिखे वाक्य को अपने भाषण का हिस्सा बनाया था। वह है- अक्सर जब मैं सभाओं में जाता हूं, लोग नारे लगाते हैं- भारत माता की जय!भारत माता की जय! मैं अनायास ही उन्हें पूछता हूँ-जो व्वे चिल्ला रहे हैं उससे उनका क्या आशय है? ये भारत माता कौन है?… नेहरू स्वयं कहते हैं- भारत के लोग ही भारत माता हैं। यही है राहुल गांधी का भाषण का मुख्य भाग।
ऋग्वेद में लिखा है- माता भूमि पुत्रोहम पृथिव्या। अर्थात भूमि मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ। ।पद्म पुराण और विष्णु पुराण में एक श्लोक है-
उत्तरं यत समुद्रस्य हिमादृश्चैव दक्षिणम
वर्षम तद भारतम नाम भारती यत्र संतति।।
अर्थात समुद्र के उत्तर में सुर हिमालय के दक्षिण में जो भूभाग है, उस क्षेत्र को भारत कहते हैं, उसमें रहने वाली सभी संताने भारती हैं।
सनातन संस्कृति के शुभेच्छु होने के नाते असंख्य भारतीयों को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी द्वारा शिवाजी पार्क मुम्बई में सनातन संस्कृति पर किये गये प्रहार से गहन पीड़ा पहुंची है। किसी भी माँ को अपनी किसी भी बुद्धि की संतान सबसे प्रिय लगती है। सोनिया गांधी जी को भी अपना बेटा प्रिय लगना स्वाभाविक है। सोनिया जी 2004 से अपने पुत्र को प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ करने के लिए सीढ़ी पकड़े हुए खड़ी हैं, राहुल गांधी रूप बदल बदल कर बहुरूपिया हो गए। सनातन संस्कृति के अनुसार कभी जनेऊधारी (सनातनी), कभी शिवभक्त (शैव), कभी विष्णु भक्त (वैष्णव), कभी देवी भक्त (शाक्त) होना यह आस्था है प्रदर्शन? दत्तात्रेय गोत्र? यदि है तो सनातन धर्म पर प्रहार क्यों? अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन समारोह में राहुल गांधी ने हिन्दू धर्म पर हमला करते हुए कहा कि “हम एक राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नही लड़ रहे हैं। हम भाजपा के खिलाफ भी नही लड़ रहे हैं न हम एक व्यक्ति के खिलाफ लड़ रहे हैं,… एक व्यक्ति को चेहरा बना कर रखा है.. हिन्दू धर्म में शक्ति शब्द होता है हम शक्ति से लड़ रहे हैं।”
मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत दुर्गा सप्तशती के पंचम अध्याय में देवी की स्तुति है-
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित है उस देवी को बारंबार नमन है। रामचरितमानस में मारीच ने हिरण्यमृग रूप धारण कर सीता जी का मन मोह लिया था।
राहुल गांधी भारत का प्रधानमंत्री बनने की प्रैक्टिस विगत 20 वर्षों से कर रहे हैं। 80 प्रतिशत जनसंख्या के धर्म से लड़ाई करते हुए वे भारत के प्रधानमंत्री बन जाएंगे? सवाल अटपटा लग सकता है लेकिन गंभीर है। यह दोष नागरिकों का नही है, यह कठिनाई अल्प ज्ञान का परिणाम है। हिन्दू धर्म को हराने के लिए इंडी गठबंधन का प्रत्येक घटक सनातन संस्कृति का विरोध किसी न किसी रूप में करता है। डी एम के नेता उदयनिधि ने सनातन धर्म को समूल उखाड़ने के लिए सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में सनातन की तुलना डेंगू और मलेरिया मच्छर से की थी। DMK पार्टी के ए. राजा का बयान- “हम भगवान राम और भारत माता की जय को कभी स्वीकार नहीं करेंगे”। मुझे रामायण और भगवान राम पर भरोसा नहीं है।” राहुल गांधी ने भी कुछ समय पूर्व एक वक्तव्य विदेशों में दिया था। कर्नाटक के DK सुरेश, कॉंग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे, बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, सपा का पूर्व महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी सनातन धर्म के विरोध में बयान दिए हैं।
राहुल गांधी कॉंग्रेस की मजबूरी हो सकते हैं, जो 20 वर्षों में अपना प्रभावी नेता नही खोज पाए। 80 प्रतिशत सनातनी इस बोझ को नेता के रूप में स्वीकार करें ऐसा सोचना सोच का दिवालियापन है। सनातन से लड़ रहे हो और प्रधानमंत्री होने का स्वप्न संजोए हो यह दिवा स्वप्न है। सनातन को निबटाने का धंधा बंद होना चाहिए।
सनातन शक्ति से लड़ता इंडी गठबंधन
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