श्रद्धा व उल्लास के मनायी जाएगी पं.श्रद्धा राम फिल्लौरी जी की 137वीं जयन्ती

अमरदीप जौली

मोगा (पंजाब) : पंजाब में धर्म परिवर्तन की बड़ी साजिश को नाकाम करने वाले आम जय जगदीश हरे आरती के रचियता पं.श्रद्धा राम फिल्लौरी जी की 137वीं जयन्ती ( 30 सितंबर) इस बार पूरे जिले में श्रद्धा व उल्लास के मनायी जाएगी। जयंती के मौके पर पूरे सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों के तहत जिले के सभी 87 मंदिरों में भव्य आयोजन तक पं.श्रद्धाराम फिल्लौरी जी के जीवन दर्शन से श्रद्धालुओं को अवगत कराया जाएगा। इस पूरे आयोजन के लिए बनी कमेटी में आचार्य नंदलाल शर्मा को कन्वीनर बनाया गया है।
बैठक को संबोधित करते हुए धर्म जागरण समन्वय पंजाब के संयोजक राम गोपाल ने कहा कि हैरानी की बात है कि पंजाब में धर्म परिवर्तन रोकने में अहम भूमिका निभाने वाले पं.श्रद्घाराम फिल्लौरी को समाज सिर्फ उन्हें ओम जय जगदीश हरे आरती के रचियता के रूप में जानते हैं, जबकि सच ये है कि वे सिर्फ आरती के रचियता नहीं थे, पंजाब में धर्म परिवर्तन को रोकने में उन्होंने अहम भूमिका ही नहीं निभाई थी, बल्कि अंग्रेजों की हिंदुओं को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर ईसाईकरण करने की बड़ी साजिश को उस दौर में नाकाम कर दिया था जब देश में अंग्रेजों का शासन था। इस काम के लिए पं.श्रद्धाराम फिल्लौरी ने समाज जागरण कर अपनी कलम से हराया।
उन्होंने देखा कि अंग्रेजों ने आजादी से पहले लुधियाना में धर्मातंरण का बड़ा केन्द्र बनाकर ईसाई समाज से संबंधित पुस्तकें लोगों के घर घर में पहुंचाने का काम किया तो पं.श्रद्धाराम फिल्लौरी ने भी साहित्य लिखना शुरू किया, उन्होंने सनातन को मानने वाले लोगों को जागरूक किया। उन्हें समझाने का प्रयास किया कि सनातन धर्म ही एेसा धर्म है जो मानवता के रास्ते पर चलता है वह हर धर्म का सम्मान करता है, किसी को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं करता है।
पहले हर मंदिर की अपनी अलग आरती होती थी, आरती के अलग सुर होते थे, पं.श्रद्धाराम फिल्लौरी ने जब ओम जय जगदीश हरे आरती की रचना इस सोच के साथ की कि पूरी दुनिया में सनातन को मानने वाले लोगों की एक आरती हो, हर मंदिर से एक जैसे सुर निकलें, उनका ये प्रयास सफल रहा। धर्मांतरण की अंग्रेजों की चाल पं.श्रद्धाराम फिल्लौरी के प्रयासों से जब मालवा में पूरी तरह नाकाम हो गई, तो अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें जालन्धर से जिला बदर कर दिया था, क्योंकि फिल्लौरी जी अंग्रेजों की साजिश में सबसे बड़ी बाधा थी।
बैठक में आचार्य नंदलाल शर्मा कोे कन्वीनर बनाने के साथ ही ये जिम्मेदारी सौंपी कि वे जिले के सभी प्रमुख कस्बों धर्मकोट, कोट ईसे खां, निहालसिंह वाला व बाघापुराना में प्रमुख बनाकर वहां के मंदिरों में भी इस आयोजन को मनाना सुनिश्चित किया जाय। बैठक में दीपक शर्मा, विकास बंसल, विजय कुमार मिश्रा, विकास मदान, दीपक कुमार, अमनदीप मदान आदि मौजूद थे।

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