लेखक-आशुतोष द्विवेदी
- जाहिल हमेशा जाहिल ही रहेंगें।
सन्दर्भ- पीएम हाउस तस्वीर।
समकालीन परिप्रेक्ष्य- अफगानिस्तान सत्तापलट। - सभ्य समाज से इनका दूर-दराज तक कोई नाता नहीं है।
सन्दर्भ- लोकतंत्र में आस्था का न होना। - चेतनाविहीन छात्र एवं दूरदर्शिता का अभाव।
सन्दर्भ- आन्दोलन का हाइजैक होकर हिंसक हो जाना।(पता नहीं ये कौन से छात्र हैं।😂) - राजनैतिक दृढ़संकल्पता की कमी।
सन्दर्भ- बड़े निर्णय एवं आर्थिक सुधार होने पर भी आत्मविश्वास में कमी। - राष्ट्र पहले होना चाहिए बाकी चीजें बाद में।
सन्दर्भ- इन्दिरा गांधी।
बस इन पांच केंद्रबिन्दुओं पर अवलोकन कर लिया जाए तो समस्या एवं समाधान दोनों प्रतिबिम्बित होंगें।
"आशुतोष द्विवेदी"